रक्षाबंधन पर निबंध | Essay On Raksha Bandhan

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प्रस्तावना:-

Essay On Raksha Bandhan: रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है । रक्षाबंधन भारतीय त्योहारों में से एक प्रमुख एवं प्राचीन त्यौहार है। रक्षाबंधन का अर्थ है :- रक्षा करने का वादा, जो बहन अपने भाई से मांगती हैं। यूँ तो हिन्दू धर्म के साथ-साथ अन्य धर्मों के लोग भी इस त्यौहार को अपनी पूरी भावना के साथ मनाते हैं । इस त्यौहार को भारत के अलावा अन्य देशों में बसे भारतीय भी मनाते हैं , जो हमारी भारतीय संस्कृति और परम्परा को दर्शाते हैं। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष हर्षोउल्लास एवं धूम – धाम से मनाया जाता है , सम्पूर्ण भारत में रक्षाबंधन का माहौल देखने लायक होता हैं।

रक्षा बंधन कैसे और कब मनाया जाता है:-

राखी या रक्षाबंधन हिन्दू धर्म व जैन धर्म का त्यौहार है, जो हर वर्ष श्रावण पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है । रक्षाबंधन पर सभी बहने अपने भाईयो के दाहिने हाथ पर राखी बाँधकर मिठाई खिलाती हैं और इसके साथ ही अपने भाईयों के लम्बी आयु की कामना करती हैं । वही दूसरी तरफ भाईयों द्वारा अपनी बहनो को उपहार देने के साथ ही उनकी रक्षा करने का संकल्प भी लिया जाता है ।

Essay On Raksha Bandhan
Essay On Raksha Bandhan

यह दिन हर भाई – बहन के लिए स्नेह और भावना का प्रतीक है। भाई – बहन का प्यार मधुमक्खी के शहद की तरह है, जैसे :- शहद से मिठास को कभी कम नहीं किया जा सकता, वैसे ही भाई – बहन के प्रति मिठास को भी कम नहीं किया सकता । क्योंकि यह भाई – बहन का रिश्ता वैदिक काल से चला आ रहा हैं।

रक्षा बंधन मनाने के पीछे क्या कहानी है?

राखी के त्यौहार की कहानी हिन्दू पुराण की कथाओं में भी देखने को मिलती है। रक्षाबंधन का प्रसंग वामनावतार नामक कथा में मिलता है। कथा कुछ इस प्रकार है:- बलि नाम के राजा ने अपना यज्ञ सम्पन्न करने के बाद स्वर्ग पर विजय पाने की कोशिश की , तब देवराज ईन्द्र ने भगवान श्री विष्णु जी से विनती की। श्री विष्णु जी बौने ब्राह्मण की वेशभूषा धारण कर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंच गए। राजा बलि ने गुरु के मना करने पर भी तीन पग भूमि दान में दे दी। भगवान श्री विष्णु ने तीन पग में आकाश – पाताल और धरती माप कर राजा बलि को नर्क में भेज दिया। राजा बलि ने अपनी भक्ति के बल से श्री विष्णु से हर वक्त अपने सामने रहने का वचन ले लिया। लक्ष्मी जी यह देखकर चिंतित हो उठी तथा नारद मुनि जी की सलाह पर राजा बलि के पास गई और रक्षासूत बाँधकर राजा बलि को अपना भाई बना लिया। वह उपहार के तोर पर विष्णु जी को अपने साथ ले आई। यह दिन श्रावण के माह की पूर्णिमा का दिन था।

प्राचीन समय में राखी के महत्व के अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। मेवाड़ जगह की महारानी ने हुमायूं नाम के मुग़ल राजा को राखी भेज कर रक्षा करने की प्रार्थना की थी । राजा हुमायूं मुस्लिम होने के बाद भी उन्होंने राखी की लाज राखी। कहा जाता है कि सिकंदर की पत्नी ने सिकंदर के हिन्दू शत्रु पुरु को राखी भेज कर अपना भाई बनाया था और जंग के समय सिकंदर को न मारने का वादा लिया। राजा पुरु ने जंग के दौरान राखी के वचन का सम्मान करते हुए , सिकंदर को जीवित झोड़ दिया था।

महाभारत में राखी का वर्णन: महाभारत में भी राखी के त्यौहार का उल्लेख है। जब पाँच पांडवो में से एक पांडव युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से पुछा कि मैं स्वयं को संकटो से कैसे बचा सकता हूँ , तब भगवान श्री कृष्ण ने उनकी तथा उनकी सेना के बचाव के लिए राखी का पर्व मनाने की सलाह दी थी।
शिशुपाल की हत्या करते समय श्री कृष्ण जी की तर्जनी उंगली में चोट आ गई , तो द्रोपदी ने रक्त को रोकने के लिए अपनी साड़ी में से चीर फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दी थी और वह दिन भी श्रावण माह की पूर्णिमा की तिथि ही थी। श्री कृष्ण ने बदले में चीरहरण के समय द्रोपदी की लाज बचाई और एक बहन के प्रति भाई का फर्ज निभाया था।

भाई – बहन के प्यार का प्रतीक:

भाई – बहन का रिश्ता बहुत खुशमिज़ाज होता है। यह बचपन में छोटी – छोटी बात पर लड़ाई – झगड़ा करते हैं, परन्तु उससे ज्यादा एक दूसरे से प्यार भी करते हैं। भाई – बहन के प्यार की तुलना नहीं की जा सकती, क्योंकि भाई – बहन का रिश्ता अनमोल एवं अतुलनीय होता है।

राखी का महत्व:-

रक्षाबंधन के त्यौहार पर राखी बांधने की प्राचीन परम्परा हैं, परन्तु किसी को इस का निश्चित समय नहीं पता। रक्षाबंधन हर हिन्दू और जैन परिवार में हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है, जिससे घरो में खुशियाँ आती हैं। जब बहने अपने भाइयो को दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधती हैं , तो वह राखी कलाई पर बाँधने के बाद अनमोल हो जाती है, क्योकि राखी एक भाई के प्रति बहन का प्यार और सच्चे दिल की भावना है।

रक्षा – बंधन की तैयारियाँ:-

प्रातः स्नान करके बहने या महिलाएं पूजा की थाली में राखी के साथ – साथ चावल , रोली , फूल माला , घेवर नामक मिठाई , दीपक आदि सामग्री से पूजा की थाली को सजाती हैं। वही दूसरी तरफ भाई तैयार होकर राखी बंधवाने के लिए उपयुक्त स्थान पर बैठ जाते हैं। सबसे पहले महिलाएँ अभीष्ट देवता की पूजा करती हैं और फिर अपने भाईयों को रोली से टीका करके दाहिने हाथ पर राखी बांधती हैं। इसके साथ ही उनको ढेर सारा आशीर्वाद देती हैं। भाई अपनी बहनो को पैसे या उपहार देते समय रक्षा करने का संकल्प लेते हैं। रक्षाबंधन के दिन बाजारों में बेहद भीड़ – भाड़ होती है और मिठाइयों की दुकान पर या दुकान के बहार तम्बू लगा कर घेवर नामक मिठाई बेची जाती है।

उपसंहार:-

आज के समय में यह त्यौहार भारतीय संस्कृति की पहचान है । हिन्दू धर्म और जैन धर्म के लोगों की इस त्यौहार से भावनाएं जुड़ी हैं। आज के समय में कई भाईयों की कलाई रक्षाबंधन पर राखी से रह जाती है क्योंकि बहनो को उनके माता – पिता ने इस संसार में आने ही नहीं दिया , जितना प्यार आप लड़को से करते हैं उतना ही लड़कियो से भी कीजिए। इसीलिए कहते हैं “लड़की बचाओ, लड़की पढ़ाओ”